आज हम UP Board Textbook Solutions में class 3 के संस्कृत पीयूषम Sanskrit Peeyusham के पाठ 15 विद्या सदा सुभाषितानि के अर्थ व श्लोक का अर्थ, व अभ्यास प्रश्न की जानकारी दी जा रही है । इन्हें अपनी नोटबुक में लिख लें ।

विद्या सदा सुभाषितानि Vidya Sada Subhashitani

विद्या सदा पठामि
लेखं सदा लिखामि ।
सर्वान् च प्रणिनोहहं
स्नेहेन पाल्यामि ।।
Vidya Subhashitani Class 3 Sanskrit Peeyusham Chapter 15
सत्यं वदामि नित्यं
धर्म चरामि नित्यं,
कुत्रापि नैव पीडां,
कस्याप्यहं करोमि ।।
जनकं नमामि नित्यं
विद्यागुरुं सदैव ।
अतिथिं नमामि गेहे
जननी च सर्वदैव ।।

विद्या सदा सुभाषितानि पाठ: Vidya Subhashitani कठिन शब्दों का सरलतम अर्थ (शब्दार्थ) –

विद्या - ज्ञान, शिक्षा
सदा - हमेशा, सदैव
पठामि - पढ़ता हूँ
प्रणिनोहहं - प्राणियों में
स्नेहेन - प्रेम से, स्नेह से
चरामि - चलता हूँ
प्रणिनोहहं - किसी को भी
जनकं - पिता, जन्मदाता
नमामि - प्रणाम करता हूँ
जननी - माता, जन्म देनेवाली

विद्या सदा सुभाषितानि पाठ: Vidya Subhashitani सरलतम अर्थ (शब्दार्थ) –

विद्या सदा पठामि - विद्या सदा पढ़ता हूँ ।
लेखं सदा लिखामि - लेख सदा लिखता हूँ ।
सर्वान् च प्रणिनोहहं - और सभी प्राणियों में मैं हूँ ।
स्नेहेन पाल्यामि - स्नेह से पालता हूँ ।
सत्यं वदामि नित्यं - हमेशा सत्य बोलता हूँ ।
धर्म चरामि नित्यं - धर्म पर हमेशा चलता हूँ ।
कुत्रापि नैव पीडां कस्याप्यहं करोमि - कभी भी किसी को भी पीड़ित नही करता हूँ ।
जनकं नमामि नित्यं - पिता को हमेशा नमन करता हूँ ।
विद्यागुरुं सदैव - विद्या देने वाले गुरु को हमेशा,
अतिथिं नमामि गेहे - घर पर आने वाले मेहमान को नमन करता हूँ ।
जननी च सर्वदैव - और जन्म देने वाली माता को सभी प्रकार नमन करता हूँ ।
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