पंच परमेश्वर Class 5 Hindi Kalrava Chapter 2 Question Answer का हल Mobille Sathi - your learning friend लेकर आए हैं। इस पाठ को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी ने लिखा है। कहानी दो दोस्तों की है जिनकी दोस्ती पंच परमेश्वर की नैतिक ज़िम्मेदारी निभाने के कारण टूट जाती है ।
बच्चों पंच परमेश्वर Class 5 Hindi Kalrava Chapter 2 Question Answer का हल Mobille Sathi - your learning friend लेकर आए हैं। इस पाठ को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी ने लिखा है। कहानी दो दोस्तों की है जिनकी दोस्ती पंच परमेश्वर की नैतिक ज़िम्मेदारी निभाने के कारण टूट जाती है । और कहानी के अंत में पंच परमेश्वर के पद की ज़िम्मेदारी निभाने पर ही टूटी हुई दोस्ती दुबारा हरी-भरी हो जाती है। आज पंच परमेश्वर पाठ का सारांश, शब्दार्थ व अभ्यास - प्रश्नो का हल सरल भाषा में देंगे । दोस्तों यह वेबसाइट छात्रों व शिक्षकों के सहयोग हेतु बनायी गयी है। इस वेबसाइट का कंटेंट DMCA प्रूफ़ है। बिना अनुमति के इसके किसी भी कंटेट को अपनी वेबसाइट में न पब्लिश करें । अन्यथा आपके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही हो सकती है।
Panch Parmeshvar Class 5 Hindi Kalrava Question Answer
Lesson Summary Of Panch Parmeshvar Hindi Kalrava Class 5 Chapter 2
पंच परमेश्वर पाठ का सारांश
जम्मन और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी । साझे में खेती होती थी । कुछ लेन - देन भी साझा था । दोनो को एक-दूसरे पर अटल विश्वास था । जम्मन जब हज करने गये थे तब अपना घर अलगू को सौंप गये और अलगू जब कभी बाहर जाते तो जुम्मन के भरोसे अपना घर छोड़ देते थे । इस मित्रता का जन्म उसी समस्य हुआ था, जब जुम्मन के पिता जुमराती उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे । जुम्मन शेख़ की एक खाला थीं । उनके पास थोड़ी सी जायदाद थी परंतु उनके निकट संबंधियो में कोई नही था । जुम्मन ने खाला से लम्बे चौड़े वादे करके खाला से जायदाद अपने नाम लिखवा ली थी । जब तक दानपत्र की रजिस्ट्री नही हुई, तब तक खाला की खूब ख़ातिरदारी हुई । स्वादिष्ट पदार्थ खिलाए गये । रजिस्ट्री की मुहर लगते ही इस ख़ातिरदारी पर भी मुहर लग गयी । जुम्मन की पत्नी करीमन रोटियाँ देने के साथ कड़वी बातें भी सुनाने लगी । जुम्मन शेख़ भी निठुर हो गए । कुछ दिन खाला ने सब सुना और सहा, पर जब सहा न गया तब जुम्मन से शिकायत की । जुम्मन ने गृह स्वामिनी के प्रबंध में दख़ल देना उचित न समझा । कुछ दिन तक यों ही रो-धोकर काम चलता रहा । अंत में एक दिन खाला ने कहा - बेटा तुम्हारे साथ मेरा निबाह ना होगा । तुम महे रुपए दे दिया करो, मैं अलग खा पका लूँगी ।जुम्मन ने धृष्टता के साथ उत्तर दिया - रुपए क्या यहाँ फलते हैं ?
खाला बिगड़ गयी उन्होंने पंचायत करने की धमकी थी । जुम्मन बोले - हाँ ज़रूर पंचायत करा लो, फ़ैसला हो जाए । मुझे भी रात - दिन की यह खट-पट पसंद नही ।एक दिन संध्या के समय एक पेड़ के नीचे पंचायत बैठी । जुम्मन शेख़ ने पहले से ही सारा प्रबंध कर रखा था । पंच लोग बैठ गए तो बूढ़ी खाला ने उनसे विनती की - पंचो आज तीन साल हुए, मैंने अपनी सारी जायदाद अपने भांजे जुम्मन के नाम लिख दी थी । जुम्मन ने रोटी कपड़ा देना क़बूल किया था । साल भर तो मैंने रो-धोकर इसके साथ काटा, पर अब सहा नही जाता । मुझे न पेट की रोटी मिलती है न तन का कपड़ा । मैं बेसहारा हूँ । तुम लोग जो राह निकाल दो, उसी राह पर चलूँ । मैं पंचो की बात सिर माथे पर चढ़ाऊँगी । सर किसे बनाया जाए, इस प्रश्न पर जुम्मन शेख़ और खालाजान में कुछ कहा-सुनी हो गयी । अंत में खाला बोली - बेटा पंच न किसी के दोस्त होते हैं, न किसी के दुश्मन । तुम्हारा किसी पर विश्वास न हो तो जाने दो, अलगू चौधरी को तो मानते हो ? लो , मैं उन्ही को सरपंच मानती हूँ ।
जुम्मन शेख़ आनंद से फूल उठे, परंतु अपने मन के भावों को छिपाकर बोले - चलो चौधरी ही सही ।
अलगू चौधरी सरपंच हुए । उन्होंने कहा - शेख़ जुम्मन हम तुम पुराने दोस्त हैं, मगर इस समय तुम और बूढ़ी खाला दोनो हमारी निगाह में बराबर हो । जुम्मन ने कहा - ख़ुदा गवाह है, आज तक मैंने खालाजान को कोई तकलीफ़ नही दी । अलगू चौधरी ने जुम्मन से जिरह शुरू की । जुम्मन चकित थे कि अलगू को आख़िर क्या हो गया है । अभी तो यह मेरे साथ बैठे थे, अब इतने प्रश्न मुझसे क्यों पूछते हैं ?, जुम्मन यह सोच ही रहे थे कि अलगू ने फ़ैसला सुनाया - जुम्मन शेख़ पंचो ने इस मामले में विचार किया । उन्हें यह उचित मालूम होता है की खालाजान को माहवार खर्च दिया जाए । बस यही हमारा फ़ैसला है । अगर खर्च देना मंज़ूर ना हो तो रजिस्ट्री रद्द समझी जाए ।-फ़ैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गये ।
अलगू के फ़ैसले की सभी लोग प्रशंसा कर रहे थे । पर इस फ़ैसले ने अलगू और जुम्मन की दोस्ती की जड़ें हिला दी । जुम्मन को यह फ़ैसला आठों पहर खटकने लगा । वे इस ताक में कि किसी तरह अलगू से बदला लेने का अवसर मिले । ऐसा अवसर जल्द ही जुम्मन के साथ में आया । अलगू चौधरी बटेसर से बैलों की एक बहुत अच्छी जोड़ी मोल लाए थे । दैवयोग से जुम्मन की पंचायत के एक महीने बाद इस जोड़ी का एक बैल मार गया । अब अकेला अबैल किस काम का ? गाँव में समझूँ साहू थे, उन्होने एक महीने में दाम चुकाने का वादा करके चौधरी से बैल ख़रीद लिया । समझू ने नया बैल पाया तो लगे रगेदने , न चारे की फ़िक्र न पानी की । वह तीन में तीन-तीन, चार-चार , खेपें करने करने लगे ।एक दिन समझू ने दूना बोझ लाद दिया । बैल ने ज़ोर लगाया, पर आधे रास्ते में धरती पर गिर पड़ा, ऐसा गिरा कि फिर ना उठा । इस घटना के कई महीने बीत गए । अलगू जब बैल का दाम का माँगते, तब साहू - सहुवाइन दोनों ही झल्ला उठते । कहते मुर्दा बैल दिया था, उस पर दाम माँगने चले हैं । इसी तरह कई बार झगड़े हुए पर, साहूजी ने बैल का दाम ना चुकाया । लोगों ने साहूजी को समझाया - भाई पंचायत कर लो । जो कुछ तय हो जाए, उसे स्वीकार कर लो । साहूजी राज़ी हो गए तथा अलगू ने हामी भर ली । उसी वृक्ष के नीचे पंचायत शुरू हुई । रामधन ने कहा - चौधरी बोलो किसे पंच मानते हो ?, अलगू ने कहा - समझू साहू ही चुन लें । -समझूँ खड़े हुए और कड़क कर बोले - मेरी ओर से जुम्मन शेख़ ।
जुम्मन का नाम सुनते ही अलगू का कलेजा धक-धक करने लगा । फिर उन्होंने कहा - ठीक है मुझे स्वीकार है ।सरपंच का आसन ग्रहण करते ही जुम्मन में ज़िम्मेदारी का भाव पैदा हुआ । उन्होंने सोचा - मैं इस समय न्याय के सर्वोच्च आसन पर बैठा हूँ । सत्य से जौ - भर टलना मेरे लिए उचित नही है । पंचो ने दोनो से सवाल-जवाब शुरू किया । बहुत देर तक दोनो अपने - अपने पक्ष का समर्थन करते रहे । अंत में जुम्मन ने फ़ैसला सुनाया - अलगू चौधरी और समझू साहू ! पंचो ने तुम्हारे मामले पर अच्छी तरह विचार किया । समझू के लिए उचित है कि बैल का पूरा दाम दें । जिस समय उन्होंने बैल लिया था, उस समय उसे कोई बीमारी नही थी । बैल की मृत्यु केवल इस कारण हुई कि उससे कठिन परिश्रम लिया गया । और दाने-चारे का प्रबंध नही किया गया ।अलगू चौधरी फूले न समाए, उठ खड़े हुए और ज़ोर से बोले - पंच परमेश्वर की जय, साथ ही सभी लोगों ने दोहराया - पंच परमेश्वर की जय । थोड़ी देर बाद जुम्मन अलगू के पास आए और उनके गले से लिपट गये । अलगू रोने लगे इस पानी से दोनो के दिलो का मैल धुल गया ।मित्रता की मुरझाई हुई लता फिर हरी हो गयी - मुंशी प्रेमचंद
word meaning of panch parmeshvar Hindi Kalrava Class 5 Chapter 2
पंच परमेश्वर पाठ 2 में आए कठिन शब्दों का अर्थ
स्वादिष्ट - जायकेदारधृष्टता - ढिठाई
गृहस्वामिनी - घर की मालकिन
दैवयोग - ईश्वर की इच्छा
परिश्रम - मेहनत
कबूल - स्वीकार
जिरह - बहस
सर्वोच्च - सबसे ऊँचा।
Question Answer of panch parmeshvar Hindi Kalrava Class 5 Chapter 2
पंच परमेश्वर हिंदी कलरव कक्षा 5 पाठ 2 के अभ्यास-प्रश्न
1 - बोध प्रश्न - उत्तर लिखिए -
(क) जायदाद की रजिस्ट्री होते ही जुम्मन का व्यवहार बदल गया। इससे जुम्मन के स्वभाव की क्या विशेषता प्रकट होती है?
उत्तरजायदाद की रजिस्ट्री होते ही जुम्मन ने खाला की देखभाल व परवाह करना छोड़ दिया । इससे जुम्मन के स्वार्थी और धूर्त स्वभाव का पता चलता है।
(ख) “मैं अलग पका-खा लूँगी” खाला ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:समय पर खाना न मिलने से खाला ने परेशान होकर ऐसा कहा ।
(ग) जुम्मन ने खाला को रोटी-कपड़ा देना क्यों कबूल किया था?
उत्तर:जुम्मन ने खाला को रोटी-कपड़ा देना इसलिए कबूल किया था, क्योंकि खाला ने अपनी जायदाद जुम्मन के नाम पर रजिस्ट्री कर दी थी।
(घ) फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में क्यों आ गए?
उत्तर:अपने मित्र अलगू चौधरी से अपने खिलाफ फ़ैसले की उसे बिलकुल उम्मीद नही थी । इसलिए अपने खिलाफ फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गए।
(ङ) सरपंच का आसन ग्रहण करते हुए जुम्मन में कौन-सा भाव पैदा हुआ?
उत्तर:सरपंच का आसन ग्रहण करते हुए जुम्मन में अपनी नैतिक जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ।
2 - सही विकल्प पर ( ✓ ) का निशान लगाइए -
(क) जुम्मन का मित्र होते हुए भी पंचायत में अलगू ने उनके खिलाफ फैसला दिया क्योंकि -
- अलगू सच्चा मित्र नहीं था। ( )- जुम्मन के घमंडी स्वभाव से अलगू नाराज था। ( )
- सरपंच का स्थान ग्रहण करनेवाला व्यक्ति निष्पक्ष होकर न्याय करता है। ( ✓ )
(ख) - जुम्मन शेख़ ने समझू साहू के विरुद्ध फ़ैसला दिया कि बैल का पूरा दाम अलगू चौधरी को दें क्योंकि -
- जुम्मन शेख़ ने सरपंच बनकर समझू साहू से बदला लिया । ( )- जुम्मन शेख़ से अपने मित्र अलगू चौधरी का पक्ष लिया। ( )
- बैल की मृत्यु केवल इस कारण हुई कि उससे कठिन परिश्रम लिया गया और उसके दाने-चारे का प्रबंध नही किया गया। ( ✓ )
3 - कहानी से संबंधित वाक्य गलत क्रम में लिखे गए हैं, उन्हें सही क्रम में लिखिए -
- जुम्मन शेख की एक बूढी खाला थी।- उनके पास थोड़ी जायदाद थी, परन्तु उनके निकट सम्बन्धियों में कोई न था।
- जुम्मन ने लम्बे-चौड़े वायदे करके वह जायदाद अपने नाम लिखवा ली थी।
- एक दिन सन्ध्या के समय एक पेड़ के नीचे पंचायत बैठी।
- अलगू चौधरी ने जुम्मन से जिरह शुरू की।
- सरपंच का आसन ग्रहण करते हुए जुम्मन में अपनी जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ।
- थोड़ी देर बाद जुम्मन अलगू के पास आए और उनके गले से लिपट गए।
4 - निम्नलिखित कथनों को पढ़िए उनके सामने ख़ाली जगह में किसने - किससे कहा लिखिए -
- बेटा तुम्हारे साथ मेरा निबाह ना होगा । तुम महे रुपए दे दिया करो, मैं अलग खा पका लूँगी । ( खाला - जुम्मन शेख से)- रुपए क्या यहाँ फलते हैं ?
- शेख़ जुम्मन हम तुम पुराने दोस्त हैं, मगर इस समय तुम और बूढ़ी खाला दोनो हमारी निगाह में बराबर हो । ( अलगू चौधरी - जुम्मन शेख़ से )
- भाई पंचायत कर लो । जो कुछ तय हो जाए, उसे स्वीकार कर लो । ( लोगों ने - समझू साहू से )
- बेटा पंच न किसी के दोस्त होते हैं, न किसी के दुश्मन । ( खाला जान - जुम्मन शेख़ से )
प्रश्न - 5 (शिक्षक की सहायता से छात्र स्वयं करें ।)
6 - भाषा के रंग(क) मुहावरे का सही अर्थ चुनकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए -
मुहर लग जाना - पक्का हो जाना - किसी बात पर बड़ों की मुहर लग जाने से उसका महत्त्व बढ़ जाता है।
सिर-माथे चढ़ाना - खुशी से स्वीकार करना - अलगू ने जुम्मन का फैसला सिर-माथे चढ़ाया।
सन्नाटे में आ जाना - आश्चर्य से चुप रह जाना - अलगू चौधरी के फैसले को सुनकर जुम्मन शेख सन्नाटे में आ गया।
कलेजा धक-धक करना - अधिक घबरा जाना - जुम्मन के सरपंच बनने से अलगू चौधरी का कलेजा धक-धक करने लगा।
दिल का मैल धुल जाना - मन साफ हो जाना - आँसुओं से दोनों मित्रों के दिलों का मैल धुल गया।
(ख) निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए -
निबाह - निर्वाह
निठुर - निष्ठुर
पहर - प्रहर
घर - गृह
पूरा - पूर्ण
भगत - भक्त