Gokhru ke Fayde in Hindi, Benefits of this medicine that is antipyretic and antipyretic, Gokhru Pak Anupan ,
दिव्य जड़ी बूटी गुणकारी गोखरू के फायदे जानकारी आप हैरान हो जाएँगे। साथियों गोखरू एक बहुत ही गुणकारी एवं दिव्य जड़ी बूटी है । गोखरू का फल, पत्ता और तना आयुर्वेद में औषधि के रूप में प्रयोग (gokhru ke fayde) किये जाता है। सदियों से मानव के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद ही साबित हुई है।
आज इस आलेख में हम हम दिव्य जड़ी बूटी गुणकारी गोखरू के फायदे, उपयोग एवं नुकसान | Gokhru ke Fayde in Hindi के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
दिव्य जड़ी बूटी गुणकारी गोखरू के फायदे, उपयोग एवं नुकसान | Gokhru ke Fayde in Hindi
गोखरू को इंगलिश में Name of Gokhru or Gokshura in English –डेविल्स् थोर्न (Devil’s thorn), गोट हैड (Goat head), पंक्चर वाईन (Puncture vine), स्मॉल कैल्ट्रॉप्स (Small caltrops) के नाम से जाना जाता है। गोखरू को हिंदी में Name of Gokhru or Gokshura in Hindi –गोखरू, छोटा गोखरू, हाथीचिकार, आदि नामों से अलग अलग स्थानों में जाना जाता है। उर्दू में गोखरू को Name of Gokhru or Gokshura in Urdu – गोखरू (Gokharu) ही कहा जाता है। अरबी में गोखरू Name of Gokhru or Gokshura in Arbi –बास्तीताज (Bastitaj), खसक (Khasak), मसक (Masak, गोखरू को परसियन में Name of Gokhru or Gokshura in Persian –खारेखसक (Khare khasak)। देवभाषा संस्कृत में गोखरू को Name of Gokhru or Gokshura in Sanskrit –गोक्षुरक, त्रिकण्ट, स्वादुकण्टक, गोकण्टक, गोक्षुरक,वन शृङ्गाट, पलङकषा, श्वदंष्ट्रा, इक्षुगन्धिका, चणद्रुम,कहा जाता है। मराठी में Name of Gokhru or Gokshura in Marathi –शराट्टे (Sharatte), काटे गोखरू (Kate gokharu), लहानगोखरू (Lahangokharu), सरला ज्ञरोत्ते (Sarla gyarote), मलयालम में Name of Gokhru or Gokshura in Malayalam –नेरिंजिल (Neringil),वहीं गोखरू को हिंदी भाषा में भारत के उड़ीसा राज्य में Name of Gokhru or Gokshura in Oriya –गाखुरा (Gokhura), गोक्षरा (Gokshra, कन्नड़ में Name of Gokhru or Gokshura in Kannada –नेग्गिलुमुल्लु (Negillumullu), नेरूंजी (Nerunji),गुजराती में Name of Gokhru or Gokshura in Gujrati –बेटागोखरू (Betagokharu), नहानगोखरू (Nahanagokharu, तमिल में Name of Gokhru or Gokshura in Tamil –नेरिंजिल (Nerinjil), नेरींजीकाई (Nerinjeekai), तेलगू में Name of Gokhru or Gokshura in Telugu –पाल्लैरु (Palleru), चिरूपाल्लैरू (Chirupalleru), चिरूपल्लेख (Cherupallekh, बंगाली में Name of Gokhru or Gokshura in Bengali –गोखरू (Gokharu), गोखुरी (Gokhuri), पंजाबी में Name of Gokhru or Gokshura in Punjabi – बखरा (Bakhra), लोटक (Lotak), भखर (Bhakhar)
गोखरू उन जड़ी बूटियों में से एक है जो वात पित्त और कफ तीनों को नियंत्रित करने में सहायता करती है। आयुर्वेद में गोखरू के पंचमूल का उपयोग करके बहुत सी प्रभावी औषधियां बनायी जाती हैं । मूत्र विकार, किडनी के रोग, शारीरिक क्षमता एवं पौरुष कामशक्ति बढाने के लिए गोखरू का उपयोग किया जाता है।
क्या है गोखरू (what is gokhru) -
शायद आप इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वर्षा ऋतु में गोखरू अधिकता से फलते-फूलते हैं। इसके पौधे जमीन पर छत्ते की तरह फैले रहते हैं। चरक-संहिता में इसका मूत्र संबंधी रोग तथा वात रोग में उपचार स्वरुप उपयोग करने का उल्लेख मिलता है। यहां तक कि सूजन कम करने में भी गोखरू का प्रयोग किया जाता है। गोक्षुर के जड़ को दशमूल में और फल को वृष्य के रुप में प्रयोग करते है। इसके पत्ते चने के जैसे होते हैं। इसलिए संस्कृत में इसे चणद्रुम कहते हैं। गोखरू वर्षा ऋतु में जमीन पर फैलकर बढ़ने वाला, शाखा-प्रशाखायुक्त पौधा होता है। इसके तने 1.5 मी लम्बे, और जमीन पर फैले हुए होते हैं।
शाखाओं के नये भाग मुलायम होते हैं, पत्ते चने के पत्तों के समान, परन्तु आकार में कुछ बड़े होते हैं। इसके फूल पीले, छोटे, चक्राकार, कांटों से युक्त, चमकीले लगभग 0.7-2 सेमी व्यास या डाइमीटर के होते हैं। इसके फल छोटे, गोल, चपटे, पांच कोण वाले, 2-6 कंटक युक्त व अनेक बीजी होते हैं। इसकी जड़ मुलायम रेशेदार, 10-15 सेमी लम्बी, हल्के भूरे रंग के एवं थोड़े सुगन्धित होते हैं। गोखुरू अगस्त से दिसम्बर महीने में फलते-फूलते हैं।
गोखुर के गुण अनगिनत है। जिसके कारण ही यह सेहत और रोगों दोनों के लिए औषधि के रुप में काम करता है। गोक्षुर या गोखरू वातपित्त, सूजन, दर्द को कम करने में सहायता करने के साथ-साथ, रक्त-पित्त(नाक-कान से खून बहना) से राहत दिलाने वाला, कफ दूर करने वाला, मूत्राशय संबंधी रोगों में लाभकारी, शक्तिवर्द्धक और स्वादिष्ट होता है।
गोक्षुर का बीज ठंडे तासीर का होता है। इसके सेवन से मूत्र अगर कम हो रहा है वह समस्या दूर हो जाती है। गोखुर का क्षार या रस मधुर, ठंडा तथा वात रोग में फायदेमंद होता है।
गोखरू से बनने वाली कुछ प्रमुख औषधियां व उनके नाम -
गोक्षुरादी चूर्ण
गोखरू पाक
गोक्षुरादी क्वाथ
त्रिकंटादि क्वाथ
गोक्षुरुदि गुग्गूलू
गोक्षुर या गोखरू वातपित्त, सूजन, दर्द को कम करने में सहायता करने के साथ-साथ, रक्त-पित्त(नाक-कान से खून बहना) से राहत दिलाने वाला, कफ दूर करने वाला, मूत्राशय संबंधी रोगों में लाभकारी, शक्तिवर्द्धक और स्वादिष्ट होता है। गोक्षुर का बीज ठंडे तासीर का होता है। इसके सेवन से मूत्र अगर कम हो रहा है वह समस्या दूर हो जाती है।
पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि गोखरू पाक बनाने की विधि, फायदे एवं उपयोग-
यह पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि है । प्रमेह, क्षय, मूत्र जनित रोग, शुक्रजनित शारीरिक कमजोरी एवं यौन शक्ति बढाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए । पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि गोखरू पाक बनाने के लिए इन सभी जड़ी बूटियों की आवश्यकता होती है । गोक्षुर एक ताक़तवर जड़ी बूटी है एवं यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है । सर्दियों में गोखरू के लड्डू या गोखरू पाक का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है । शरीर में आई
कमजोरी को दूर करने के लिए यह बहुत ही कारगर औषधि है । आइये जानते हैं गोखरू पाक के घटक द्रव्यों के बारे में -
गोखरू (चूर्ण किया हुवा) – 64 तोला
दूध – 256 तोला
लौंग, लौह भस्म, काली मीर्च
कपूर, सफ़ेद आक की जड़, कत्था
सफ़ेद जीरा, श्याह जीरा, हल्दी
आंवला, पीपल, नागकेशर
जायफल, जावित्री, अजवायन, खस
सोंठ, करंजफल की गिरी (सभी 1 तोला)
गो घृत – 32 तोला
चाशनी
गोखरू का महीन चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को दूध में अच्छे से पका कर खोवा बना लें । अब इस खोवे को गो घृत में भुन लें । ध्यान रखें इसे धीमी आंच पर भुने । अब अन्य सभी द्रव्यों का चूर्ण बना उन्हें मिला लें । इस चूर्ण को चाशनी तैयार कर उसमें मिला देवें । अब खोवा और चाशनी के मिश्रण को मिला लें । इस तरह से उत्तम श्रेणी का गोखरू पाक तैयार हो जाता है ।
गोखरू पाक अनुपान कैसे करें- How to use Gokhru Pak Anupan
गोखरू पाक को रोजाना 2- 3 चम्मच दूध या ठन्डे पानी के साथ सेवन करें या रोगानुसार अनुपान करें ।
आइये जानते हैं गोखरू पाक के फायदे एवं उपयोग के बारे में । अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि बहुत गुणकारी है । यह उत्तम बलवर्धक एवं पौष्टिक उत्पाद है । मूत्र विकारों में यह बहुत असरदार है।
अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि के गुणकारी फायदे (Benefits of this medicine that is antipyretic and antipyretic
) -
अर्श रोग नाशक है । क्षय रोग में बहुत फायदेमंद औषधि है । मूत्र पिंड की सुजन को कम करता है । बलवर्धक एवं पौष्टिक है । प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी को दूर करता है । वीर्य विकारों में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है । पौरुष यौन शक्ति बढाने के लिए इसका उपयोग करें । गर्भाशय को सशक्त बनाता है । गोखरू पाक शुक्र जनित दुर्बलता को दूर करता है |
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