पाठ 2 ममता कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1

पाठ 2 ममता कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड), the students can refer to these answers to prepare for the examinations. The solutions provided in the Free PDF download of UP Board Solutions for Class 10 are beneficial in enhancing conceptual knowledge.

 UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड)

 
पाठ 2 ममता कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1


Mamta Hindi Lesson Question Answer जीवन-परिचय एवं कृतियाँ-

ममता कहानी के प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद के जीवन-परिचय एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए। [2009, 10, 11]
या
जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय दीजिए तथा उनकी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 18]
उत्तर-
हिन्दी-साहित्य को प्रसाद जी की उपलब्धि एक युगान्तरकारी घटना है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये हिन्दी-साहित्य की श्री वृद्धि के लिए ही अवतरित हुए थे। यही कारण है कि हिन्दी-साहित्य का प्रत्येक पक्ष इनकी लेखनी से गौरवान्वित हो उठा है। ये हिन्दी के महान् कवि, नाटककार, कहानीकार, निबन्धकार आदि के रूप में जाने जाते हैं। हिन्दी-साहित्य इन्हें सदैव याद रखेगा।

श्री जयशंकर प्रसाद जी का जीवन-परिचय –

 हिन्दी-साहित्य के महान् कवि, नाटककार, कहानीकार एवं निबन्धकार श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म सन् 1889 ई० में वाराणसी के प्रसिद्ध हुँघनी साहू परिवार में हुआ था। इनके पिता बाबू देवीप्रसाद काशी के प्रतिष्ठित और धनाढ्य व्यक्ति थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई तथा स्वाध्याय से ही इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू और फारसी का श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त किया और साथ ही वेद, पुराण, इतिहास, दर्शन आदि का (www.mobilesathi.com) भी गहन अध्ययन किया। माता-पिता तथा बड़े भाई की मृत्यु हो जाने पर इन्होंने व्यवसाय और परिवार का उत्तरदायित्व सँभाला ही था कि युवावस्था के पूर्व ही भाभी और एक के बाद दूसरी पत्नी की मृत्यु से इनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ ही टूट पड़ा। फलतः वैभव के पालने में झूलता इनका परिवार ऋण के बोझ से दब गया। इनको विषम परिस्थितियों से जीवन-भर संघर्ष करना पड़ा, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और निरन्तर साहित्य-सेवा में लगे रहे। क्रमशः प्रसाद जी का शरीर चिन्ताओं से जर्जर होता गया और अन्तत: ये क्षय रोग से ग्रस्त हो गये। 14 नवम्बर, सन् 1937 ई० को केवल 48 वर्ष की आयु में हिन्दी साहित्याकाश में रिक्तता उत्पन्न करते हुए इन्होंने इस संसार से विदा ली। |

कृतियाँ – प्रसाद जी ने काव्य, नाटक, कहानी, उपन्यास और निबन्धों की रचना की। इनकी प्रमुख कृतियों का विवरण निम्नलिखित है|
(1) नाटक- ‘स्कन्दगुप्त’, ‘अजातशत्रु’, ‘चन्द्रगुप्त’, ‘विशाख’, ‘ध्रुवस्वामिनी’, ‘कामना, ‘राज्यश्री’, ‘जनमेजय का नागयज्ञ’, ‘करुणालय’, ‘एक पूँट’, ‘सज्जन’, ‘कल्याणी-परिणय’ आदि इनके प्रसिद्ध नाटक हैं। प्रसाद जी के नाटकों में भारतीय और पाश्चात्य नाट्य-कला का सुन्दर समन्वय है। इनके नाटकों में राष्ट्र के गौरवमय इतिहास का सजीव वर्णन हुआ है।
(2) कहानी – संग्रह-‘छाया’, ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’ तथा ‘इन्द्रजाल प्रसाद जी की कहानियों के संग्रह हैं। इनकी कहानियों में मानव-मूल्यों और भावनाओं का काव्यमय चित्रण हुआ है।
(3) उपन्यास – कंकाल, तितली और इरावती (अपूर्ण)। प्रसाद जी ने अपने इन उपन्यासों में जीवन की वास्तविकता का आदर्शोन्मुख चित्रण किया है।
(4) निबन्ध-संग्रह – ‘काव्यकला तथा अन्य निबन्ध’। इस निबन्ध-संग्रह में प्रसाद जी के गम्भीर चिन्तन तथा साहित्य सम्बन्धी स्वस्थ दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति हुई है।
(5) काव्य – ‘कामायनी’ (महाकाव्य), ‘आँसू’, ‘झरना’, ‘लहर’ आदि प्रसिद्ध काव्य हैं। ‘कामायनी’ श्रेष्ठ छायावादी महाकाव्य है।

साहित्य में स्थान – प्रसाद जी छायावादी युग के जनक तथा युग-प्रवर्तक रचनाकार हैं। बहुमुखी प्रतिभा के कारण इन्होंने मौलिक नाटक, श्रेष्ठ कहानियाँ, उत्कृष्ट निबन्ध और उपन्यास लिखकर हिन्दी-साहित्य के कोश की श्रीवृद्धि की है। आधुनिक हिन्दी के (www.mobilesathi.com) मूर्धन्य साहित्यकारों में प्रसाद जी का विशिष्ट स्थान है।

आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी के शब्दों में, भारत के इने-गिने श्रेष्ठ साहित्यकारों में प्रसाद जी का स्थान सदैव ऊँचा रहेगा।” इनके विषय में किसी कवि ने उचित ही कहा है सदियों तक साहित्य नहीं यह समझ सकेगा तुम मानव थे या मानवता के महाकाव्य थे।

ममता पाठ की व्याख्या गद्यांशों पर आधारित प्रश्न -


प्रश्न-पत्र में केवल 3 प्रश्न (अ, ब, स) ही पूछे जाएँगे। अतिरिक्त प्रश्न अभ्यास एवं परीक्षोपयोगी दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण दिए गये हैं।

Mamta Chapter In Hindi प्रश्न 1.

रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता, शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही है। ममता विधवा थी। उसका यौवन शोण के समान ही उमड़ रहा था। मन में वेदना, मस्तक में आँधी, आँखों में पानी की बरसात लिये, वह सुख के कंटक-शयन में विकल थी। वह रोहतास दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की अकेली दुहिता थी, फिर उसके लिए कुछ अभाव होना असम्भव था, परन्तु वह विधवा थी-हिन्दू-विधवा संसार में सबसे तुच्छ-निराश्रय प्राणी है- तब उसकी विडम्बना का कहाँ अन्त था ? [2012, 14]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में किसके बारे में और क्या कहा गया है ?
2. हिन्दू-विधवा को तुच्छ-निराश्रय प्राणी क्यों कहा गया है ?
या
उपर्युक्त गद्यांश में हिन्दू-विधवा की स्थिति कैसी है ?
3. ममता की वेदना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
4. ममता कौन थी? वह क्या देख रही थी?
[ प्रकोष्ठ = राजप्रासादे के मुख्य द्वार के पास का कमरा। शोण = सोन नदी। वेदना = दुःख। दुहिता = पुत्री। निराश्रय = अनाथ। विकल = दु:खी। विडम्बना = पीड़ा।]
उत्तर-
(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक (www.mobilesathi.com) ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित ‘ममता’ नामक कहानी से उधृत है। इसके लेखक छायावादी युग के प्रवर्तक श्री जयशंकर प्रसाद हैं।
अथवा निम्नवत् लिखिए
पाठ का नाम-ममता। लेखक का नाम-श्री जयशंकर प्रसाद।
[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए प्रश्न ‘अ’ का यही उत्तर इसी रूप में लिखा जाएगा।]

(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि रोहतास राजप्रासाद के मुख्य द्वार के निकट अपने कमरे में बैठी हुई ममता सोन नदी के तेज बहाव को देख रही है। विधवा ममता का यौवन भी सोन नदी के प्रवाह के समान पूर्ण रूप से उमड़ रहा था। भरी तरुणाई में विधवा हो जाने के कारण उसका मन दु:ख से भरा था। उसके मस्तिष्क में आँधी के समाम तीव्रगति से अपने भावी जीवन की चिन्ता से सम्बन्धित अनेक विचार उत्पन्न हो रहे थे। उसकी आँखों से दु:ख के आँसू निरन्तर बह रहे थे और राजप्रासाद की समस्त सुख-सुविधाएँ उसे काँटे की भाँति कष्ट पहुँचा रही थीं। कोमल बिस्तरों पर शयन भी उसे काँटों की शय्या के समान प्रतीत होता था।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या – 

श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि ममता रोहतास दुर्ग के अधिपति के मन्त्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री थी। इसलिए उसके पास सुख-सुविधाओं के अभाव होने को प्रश्न ही नहीं उठता था; अर्थात् उसके पास सभी सुख विद्यमान थे, परन्तु वह सुखी नहीं थी क्योंकि वह एक हिन्दू बाल विधवा थी। हिन्दू समाज में विधवा का जीवन दु:खी, उपेक्षित और अनाथ जैसा होता है। इस कारण उसका जीवन उसके लिए भार बन जाता है। संसार की सभी सुख-सुविधाएँ भी उसको शान्ति प्रदान नहीं कर पाती हैं। ऐसी ही विकट परिस्थितियों से युक्त ममता के कष्टों का भी अन्त नहीं था।

(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में रोहतास दुर्ग के दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की एकमात्र कन्या ममता के विषय में कहा गया है, जो कि युवावस्था में ही विधवा हो गयी थी। समस्त प्रकार की सुख-सुविधाओं की उपलब्धता होने के बाद भी उसकी परेशानियों का अन्त नहीं था।
2. सामाजिक परिस्थितियों के कारण आज भी हिन्दू समाज में (www.mobilesathi.com) विधवा का जीवन दु:खी, उपेक्षित और अनाथ जैसा होता है। इस कारण उसका जीवन उसके लिए भारस्वरूप हो जाता है। इसी कारण से हिन्दूविधवा को तुच्छ-निराश्रय प्राणी कहा गया है।
3. ममता रोहतास दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री थी। उसके पास सुख के समस्त साधन विद्यमान थे। फिर भी उसके मन में पीड़ा थी, मस्तिष्क में विचारों की आँधी चल रही थी, आँखों में आँसुओं की झड़ी थी और आरामदायक शय्या भी उसे काँटों की शय्या के समान पीड़ा पहुँचा रही थी।
4. ममता रोहतास दुर्ग के अधिपति के मन्त्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री थी, जो विधवा हो गयी थी। राजप्रासाद के मुख्य द्वार के निकट अपने कमरे में बैठी हुई वह सोन नदी के तेज बहाव को देख रही थी।

Class 10 Hindi Chapter 2 Mamta प्रश्न 2.

“हे भगवान्! तब के लिए! विपद के लिए! इतना आयोजन! परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस। पिताजी, क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिन्दू भू-पृष्ठ पर न बचा रह जाएगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके? यह असम्भव है। फेर दीजिए पिताजी, मैं काँप रही हूँ इसकी चमक आँखों को अंधा बना रही है।” [2013]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. किस वस्तु की चमक ममता की आँखों को अन्धा बना रही थी ?
2. परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
3. इस गद्यांश में ममता की किस मनोवृत्ति को स्पष्ट किया गया है ?
[विपद = आपत्ति, संकट। आयोजन = (यहाँ पर) भौतिक सुख-सुविधाओं का संग्रह। भू-पृष्ठ = पृथ्वी तल।]
उत्तर-

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या –

 जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि जब ममता ने स्वर्ण-आभूषणों से भरा हुआ थाल देखा तब वह हतप्रभ रह गयी। वह आश्चर्य प्रकट करती हुई अपने पिता से कहती है कि आप विपत्ति के लिए इतने धन का संग्रह क्यों कर रहे हैं। (www.mobilesathi.com) भगवान की इच्छा के विरुद्ध आपने यह बहुत बड़ा दुस्साहस किया है। हम ब्राह्मण हैं। क्या इस पृथ्वी पर ऐसा कोई हिन्दू व्यक्ति न बचेगा जो किसी ब्राह्मण की क्षुधा को शान्त करने के लिए थोड़ा-सा अन्न भिक्षा के रूप में भी नहीं देगा। पिताजी! निश्चित ही यह बात असम्भव है कि पृथ्वी पर कोई हिन्दू (सधर्मी) व्यक्ति न मिले और ब्राह्मण को भिक्षा भी न मिले।

(स) 1. थाल में रखे हुए सुवर्ण के सिक्कों की चमक; जो कि ममता के पिता ने शेरशाह से उत्कोच (घूस) के रूप में स्वीकार किये थे; ममता की आँखों को अन्धा बना रही थी। आशय यह है कि विधर्मियों से उत्कोच के रूप में आये सुवर्ण से उत्पन्न सम्भावित भय के कारण उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया था।
2. ‘परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस’ से आशय है कि ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध किया जाने वाला दुस्साहस। तात्पर्य यह है कि ईश्वर यदि हमें विपत्ति में डालना ही चाहता है तो हमें उसकी इच्छा के विपरीत प्रयास नहीं करना चाहिए।
3. इस गद्यांश में ममता की निर्लोभता, अनुचित धन के प्रति विमुखता तथा ईश्वर व ब्राह्मणत्व में विश्वास की मनोवृत्ति को स्पष्ट किया गया है।

ममता पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 3.
काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति का खण्डहर था। भग्न चूड़ा, तृण-गुल्मों से ढके हुए प्राचीर, ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति, ग्रीष्म की चन्द्रिका में अपने को शीतल कर रही थी।
जहाँ पंचवर्गीय भिक्षु गौतम का उपदेश ग्रहण करने के लिए पहले मिले थे, उसी स्तूप के भग्नावशेष की मलिन छाया में एक झोपड़ी के दीपालोक में एक स्त्री पाठ कर रही थी – “अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।” [2011]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में स्त्री क्या पढ़ रही थी ? उसका अर्थ लिखिए।
2. पंचवर्गीय भिक्षु कौन थे ? ये गौतम से क्यों और कहाँ मिले थे ?
3. धर्मचक्र कहाँ स्थित था ?
[विहार = बौद्ध-भिक्षुओं का आश्रम। भग्न चूड़ा = भवन का टूटा हुआ ऊपरी भाग। तृण-गुल्म = तिनकों अथवा घास या लताओं का गुच्छा। प्राचीर = चहारदीवारी, परकोटा। विभूति = ऐश्वर्य। चन्द्रिका = चाँदनी।]
उत्तर-

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या –

 श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि काशी भारत का पवित्र तीर्थ स्थल है। इसके उत्तर में सारनाथ है, जहाँ बौद्ध भिक्षुकों के बौद्ध-विहार टूटकर खण्डहरों में बदल चुके थे। इन बौद्ध-विहारों को मौर्यवंश के राजाओं तथा गुप्तकाल के सम्राटों ने बनवाया था। इन बौद्ध-विहारों में तत्कालीन वास्तुकला एवं शिल्पकला के बेजोड़ नमूने अब भी स्पष्ट दिखाई दे रहे थे जो कि मौर्य और गुप्त वंश के सम्राटों की (www.mobilesathi.com) कीर्ति को गान करते प्रतीत हो रहे थे। इन भवनों के शिखर टूट चुके थे। खण्डहरों की दीवारों पर घास-फूस तथा लताएँ उग आयी थीं। टूटी-फूटी ईंटों के ढेर इधर-उधर बिखरे पड़े थे और इन ईंटों में बिखरी पड़ी थी भव्य भारतीय शिल्पकला। ग्रीष्म ऋतु की शीतल चाँदनी में यह उत्कृष्ट शिल्पकला अब अपने को भी शीतल कर रही थी।

(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में दीपक के प्रकाश में बैठी एक स्त्री पाठ कर रही थी‘अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते’, अर्थात् जो भक्त अनन्य भावना से मेरा चिन्तन करते हैं, उपासना करते हैं; उनका योग-क्षेम मैं स्वयं वहन करता हूँ।
2. पंचवर्गीय भिक्षु गौतम बुद्ध के प्रथम पाँच शिष्य थे, जो उनका उपदेश ग्रहण करने के लिए काशी के उत्तर में स्थित सारनाथ नामक स्थान पर (गद्यांश में वर्णित) खण्डहरों में मिले थे।
3. धर्मचक्र मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति के अवशेष रूप में काशी के उत्तर में (सारनाथ नामक स्थान पर) स्थित था।

Mamta Path Ki Vyakhya प्रश्न 4.

“गला सूख रहा है, साथी छूट गये हैं, अश्व गिर पड़ा है—इतना थका हुआ हूँ इतना!”कहते-कहते वह व्यक्ति धम से बैठ गया और उसके सामने ब्रह्माण्ड घूमने लगा। स्त्री ने सोचा, यह विपत्ति कहाँ से आयी! उसने जल दिया, मुगल के प्राणों की रक्षा हुई। वह सोचने लगी-“सब विधर्मी दया के पात्र नहीं-मेरे पिता का वध करने वाले आततायी!” घृणा से उसका मन विरक्त हो गया। [2009]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. गद्यांश में वर्णित व्यक्ति कौन है ?
2. व्यक्ति की व्यथा-कथा का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए।
[ अश्व = घोड़ा। विपत्ति = मुसीबत। विधर्मी = पापी। आततायी = अत्याचारी।]
उत्तर-
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी कह रहे हैं कि सारनाथ के बौद्ध विहार के खण्डहरों में रहने वाली ममता ने मन-ही-मन सोचा कि यह विपत्ति अचानक कहाँ से आ गयी। ममता ब्राह्मणी थी, उसे हुमायूँ पर दया आ गयी। उसने हुमायूँ को जल दिया। जल पीने के पश्चात् हुमायूँ को होश आया।

ममता अपने मन में सोचने लगी कि मैंने इस मुगल को जल देकर उचित नहीं किया। इसके प्राण तो बच गये लेकिन क्या पता अब यह मेरे साथ कैसा व्यवहार करेगा क्योंकि सभी विधर्मी दया के योग्य नहीं होते। अपने पिता के वध का स्मरण कर (www.mobilesathi.com) उसका मन विरक्त हो गया; क्योंकि पितृ-हन्ता को तो कदापि आश्रय न देना चाहिए।

(स) 1. गद्यांश में वर्णित व्यक्ति बाबर का पुत्र हुमायूँ है। हुमायूँ चौसा के युद्ध में शेरशाह से पराजित होकर भागता है और भागते हुए सारनाथ के खण्डहरों में आश्रय पाता है और ममता से उसकी कुटिया में विश्राम करने की आज्ञा देने का आग्रह करता है।
2. व्यक्ति कहता है कि मैं युद्ध में पराजित हो गया हूँ। प्यास के कारण मेरा गला सूख रहा है। मुझसे मेरे साथी अलग हो गये हैं। थकान के कारण घोड़ा गिर पड़ा है। इतना थका हुआ हूँ कि चलने में भी असमर्थ हूँ। यह कहते हुए वह पृथ्वी पर ही बैठ जाता है। उसके सामने मानो सम्पूर्ण सृष्टि घूमने लगती है अर्थात् आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है।

Class 10 Hindi Mamta प्रश्न 5.
“मैं ब्राह्मणी हूँ, मुझे तो अपने धर्म-अतिथि–देव की उपासना का पालन करना चाहिए, परन्तु यहाँ नहीं-नहीं सब विधर्मी दया के पात्र नहीं। परन्तु यह दया तो नहीं कर्तव्य करना है। तब?”
मुगल अपनी तलवार टेककर उठ खड़ा हुआ। ममता ने कहा-“क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो; ठहरो।”
छल! नहीं, तब नहीं, स्त्री! जाता हूँ, तैमूर का वंशधर स्त्री से छल करेगा? जाता हूँ। भाग्य का खेल है।” [2009]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. “क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो।” वाक्य किसने कहा और क्यों ?
2. “छल ! नहीं, तब नहीं स्त्री जाता हूँ।” वाक्य किसने-किससे कहा और क्यों ?
[ विधर्मी = अपने धर्म के विरुद्ध आचरण करने वाला, दूसरे धर्म का।]
उत्तर-

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – 

ममता अपने मन में सोचती है कि मैं तो ब्राह्मणी हूँ और सच्चा ब्राह्मण कभी अपने धर्म से विमुख नहीं होता, मुझे भी अपने अतिथि-धर्म का पालन करना चाहिए।
और इसको विश्राम करने की आज्ञा दे देनी चाहिए। अगले ही पल उसके मन में विचार आता है कि यह तो धर्मभ्रष्ट मुगल है। मुगलों ने ही उसके पिता की हत्या की थी। यदि विधर्मी कोई और होता तो उसके प्रति दया दिखाकर उसे आश्रय दिया जा सकता था। पितृ-हन्ता को तो कदापि आश्रय न देना चाहिए। तभी उसके अन्त:करण में फिर से हलचल मचती है कि मैं तो इसके ऊपर कोई दया नहीं दिखाऊँगी, वरन् अतिथि-धर्म का पालन करके अपने कर्त्तव्य को ही निभाऊँगी।

(स) 1. “क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो।” वाक्य ममता ने मुगल हुमायूँ से कहे; क्योंकि उसके पिता की हत्या भी विधर्मियों अर्थात् मुगलों ने ही की थी। वह दोनों ही मुगलवंशियों में कोई भेद नहीं कर सकी थी।
2. “छल ! नहीं, तब नहीं स्त्री ! जाता हूँ।” वाक्य मुगल हुमायूँ ने (www.mobilesathi.com) ममता से कहे थे। हुमायूँ तैमूर का वंशज था। उसको मानना था कि तैमूर का वंशज कुछ भी कर सकता था, लेकिन किसी स्त्री के साथ धोखा कदापि नहीं कर सकता था।

ममता कहानी Pdf प्रश्न 6.
चौसा के मुगल-पठान युद्ध को बहुत दिन बीत गये। ममता अब सत्तर वर्ष की वृद्धा है। वह अपनी झोपड़ी में एक दिन पड़ी थी। शीतकाल का प्रभात था। उसका जीर्ण कंकाल खाँसी से गूंज रहा था। ममता की सेवा के लिए गाँव की दो-तीन स्त्रियाँ उसे घेरकर बैठी थीं; क्योंकि वह आजीवन सबके सुख-दु:ख की सहभागिनी रही।
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. ‘मुगल-पठान युद्ध’ से क्या आशय है ? यह किनके बीच हुआ था ?
2. जीर्ण-कंकाल खाँसी से गूंज रहा था।’ से क्या आशय है ?
[ वृद्धा = बुढ़िया। शीत = सर्दी। प्रभात = प्रात:काल।]
उत्तर-

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – 

लेखक कहता है कि शीतकाल को प्रात:काल था। ममता को खाँसी थी। खाँसी के कारण उसे श्वास लेने में भी कठिनाई महसूस हो रही थी। उसका गला सँध रहा था। श्वास के साथ बलगम की आवाज स्पष्ट सुनायी दे रही थी। ममता अकेली थी। उसका किसी से इस संसार में खून का रिश्ता नहीं था और न तो उसका कोई रिश्तेदार ही था। जीवन के दुःखपूर्ण इन अन्तिम क्षणों में यदि कोई उसकी मदद करने वाला था तो केवल उस गाँव की दो या तीन औरतें जो उसके पास उसकी सेवा करने में संलग्न थीं, उसे घेरकर बैठी हुई थीं क्योंकि ममता भी मानवता की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी। उसने भी निराश्रयों को आश्रय दिया था। सभी के सुख-दु:ख में सहभागिनी रही थी।

(स) 1. मुगल-पठान युद्ध से आशय हुमायूँ (मुगल) और शेरशाह (पठान) के मध्य हुए चौसा के युद्ध से है। यह युद्ध सन् 1536 ई० के आसपास हुआ था।
2. जीर्ण कंकाल से आशय कंकालवत् रह गये शरीर से है। ममता को खाँसी (www.mobilesathi.com) इतनी तेजी से आ रही थी कि वह कंकाल मात्र रह गये शरीर में से गूंजती हुई बाहर आती प्रतीत हो रही थी।

Class 10 Hindi Gadya Khand Chapter 2 प्रश्न 7.

अश्वारोही पास आया। ममता ने रुक-रुककर कहा-“मैं नहीं जानती कि वह शहंशाह था, या साधारण मुगल; पर एक दिन इसी झोपड़ी के नीचे वह रहा। मैंने सुना था कि वह मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे चुका था। मैं आजीवन अपनी झोपड़ी के खोदे जाने के डर से भयभीत रही। भगवान् ने सुन लिया, मैं आज .. इसे छोड़े जाती हूँ। तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर-विश्राम-गृह में जाती हूँ।” [2010, 12]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. शहंशाह शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है ?
2. ‘चिर-विश्राम-गृह’ से क्या आशय है ?
3. वह (ममता) आजीवन क्यों भयभीत रही ?
उत्तर-

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या –

 श्री जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि ममता ने अश्वारोही को बुलाकर उससे कहा कि उस व्यक्ति ने मेरे घर का नवनिर्माण कराने का आदेश अपने एक अधीनस्थ को दिया था। मैं अपनी पूरी जिन्दगी में इस भय से भयभीत रही कि कहीं मैं अपने इस मामूली घर से भी बेघर न हो जाऊँ। लेकिन ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे जीवित रहते बेघर होने से बचा लिया। आज मैं इस घर को छोड़कर (www.mobilesathi.com) जा रही हूँ; अर्थात् अब मेरे जीवन का अन्त समय निकट आ गया है। अब तुम यहाँ पर मकान बनाओ अथवा महल, मुझे कोई चिन्ता नहीं; क्योंकि अब मैं अपने उस घर में जा रही हूँ जहाँ मुझे अनन्त काल तक विश्राम प्राप्त होगा।

(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में ‘शहंशाह’ शब्द मुगल सल्तनत के बाबर के पुत्र और अकबर के पिता हुमायूं के लिए प्रयोग किया गया है।
2. चिर-विश्राम-गृह से आशय ऐसे गृह से है जहाँ मनुष्य अनन्त समय तक विश्राम कर सके अथवा ऐसा गृह जिसका स्थायित्व अन्तहीन समय तक बनी रहे, और जिसमें व्यक्ति अन्तहीन समय तक विश्राम भी कर सके।
3. वह (ममता) अपने जीवन-पर्यन्त अपनी झोपड़ी के खोदे जाने के भय से भयभीत रही क्योंकि मुगल (हुमायूँ) ने उसके घर को बनवाने का आदेश दिया था।

Mamta Chapter Summary In Hindi व्याकरण एवं रचना-बोध


UP Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से उपसर्ग और प्रत्यय से बने शब्दों को अलग-अलग छाँटिए तथा उनसे उपसर्ग और प्रत्यय को अलग कीजिए-
व्यथित, दुश्चिन्ता, पीलापन, अनर्थ, मन्त्रित्व, भारतीय, पंचवर्गीय, उपदेश, विरक्त, अतिथि, आजीवन, अनन्त।
उत्तर-
Mamta Hindi Lesson Question Answer Class 10 Chapter 2 UP Board

Mamta Hindi Lesson Summary प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में नियम-निर्देशपूर्वक सन्धि-विच्छेद कीजिए-
निराश्रय, दुश्चिन्ता, पतनोन्मुख, भग्नावशेष, दीपालोक, हताशा, अश्वारोही।
उत्तर-
ममता कहानी के प्रश्न उत्तर Class 10 Chapter 2 UP Board

UP Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित पदों का नामसहित समास-विग्रह कीजिए-
कंटक-शयन, दुर्गपति, अनर्थ, तृण-गुल्म, वंशधर, शीतकाल, आजीवन, अनन्त, अष्टकोण।
उत्तर-

ममता पाठ की व्याख्या Class 10 Chapter 2 UP Board

Mamta Chapter In Hindi Class 10 Chapter 2 UP Board

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Name

Assessment form,13,Assessment tracker,18,Baby name,11,Balvatika,6,biography,25,Biology,6,CBSE Books Solutions,18,class1,38,Class10,7,Class11,14,Class12,6,Class2,30,class3,61,class4,48,Class5,128,Class6,51,Class7,37,Class8,27,Class9,7,Current affairs,6,DELED Teaching plan,20,Diksha training,40,Drawing,3,E Register,1,Ebooks,3,english,78,English grammar,3,English1,5,English3,12,English4,3,English5,38,English6,10,English7,4,English8,4,Epathshala,97,Essay,1,evs,53,Evs3,16,EVS4,9,Evs5,27,Evs6,3,EVS7,1,EVS8,1,Food,6,General studies,21,Geography,4,Geography6,3,Geography7,1,Geography8,2,Govt order,14,Grammar,2,Health,22,hindi,132,Hindi grammar,10,Hindi quotes,5,Hindi1,14,Hindi10,2,Hindi11,11,Hindi2,20,Hindi3,3,Hindi4,25,Hindi5,40,Hindi6,2,Hindi7,2,Hindi8,2,Hindi9,5,History,7,History6,2,History7,2,History8,3,Informational,15,Kalrava4,1,KVS Books Solution,18,KVS Class 3,17,KVS Hindi 3,15,KVS Maths 3,3,lesson,1,Lesson class,4,Lesson plan,219,Lifestyle,19,Math,88,Math1,4,Math2,5,Math3,14,Math4,3,Math5,33,Math6,14,Math7,10,Math8,3,maths,2,Meena ki duniya,1,mission prerna,15,MobileSathi,3,Model paper,35,NCERT,2,NCERT Books Solutions,18,NECRT,1,Nipun bharat,89,Nipun suchi talika,20,Nisthta Training,1,Online services,1,Online taiyari,16,Online Training,1,Prernaup,5,primary ka master,1,PT,1,Question paper,1,Questions paper,1,Quotes,1,sanskrit,8,Sanskrit3,2,Sanskrit4,1,Sanskrit5,6,Sarkari naukri,1,science,43,Science6,15,Science7,10,Science8,6,stories,6,Syllabus,13,Teacher diary,84,Teacher Handbooks,2,Teacher module,1,Teacher training,2,Teachers diary,1,Teachers modules,1,Technical guruji,17,Time table,2,TLM,22,training,1,UP board solutions,8,UPPSC,1,Useful forms,10,WLE,7,आकलन प्रपत्र,1,निपुण भारत,9,प्राइमरी का मास्टर,1,
ltr
item
Mobile Sathi ◊ A Great Platform to Online Learning: पाठ 2 ममता कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1
पाठ 2 ममता कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1
पाठ 2 ममता कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWAJQgdXtI8nBqeuVFaFdUKo3leipawtn5mRFuIJqIpoKbOxqa6fu6EVM90iUvrgt9E7-np1XlrpEdf2YF9eAJrqqE7ORzvdvvtYVQloN5t0xgmZiwghpTIlICN3N2SA04M2aXpI6Reuhv/w640-h366/jay+shankar+prasad+biography+in+hindi.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWAJQgdXtI8nBqeuVFaFdUKo3leipawtn5mRFuIJqIpoKbOxqa6fu6EVM90iUvrgt9E7-np1XlrpEdf2YF9eAJrqqE7ORzvdvvtYVQloN5t0xgmZiwghpTIlICN3N2SA04M2aXpI6Reuhv/s72-w640-c-h366/jay+shankar+prasad+biography+in+hindi.jpg
Mobile Sathi ◊ A Great Platform to Online Learning
https://www.mobilesathi.com/2021/06/up-board-solutions-for-class-10-chapter-2.html
https://www.mobilesathi.com/
https://www.mobilesathi.com/
https://www.mobilesathi.com/2021/06/up-board-solutions-for-class-10-chapter-2.html
true
6641913774348167233
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content