हिंदी व्याकरण : संज्ञा की परिभाषा व संज्ञा के प्रकार | संज्ञा (Sangya) - परिभाषा, भेद और उदाहरण : Sangya in hindi

हिन्दी में पद पाँच प्रकार के होते हैं-     संज्ञा     सर्वनाम     विशेषण     क्रिया     अव्यय यहाँ हम संज्ञा और संज्ञा पद के बार...

हिन्दी में पद पाँच प्रकार के होते हैं-

    संज्ञा
    सर्वनाम
    विशेषण
    क्रिया
    अव्यय
यहाँ हम संज्ञा और संज्ञा पद के बारे विस्तार से जानेंगे। अतः निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए-

संज्ञा (Sangya): संज्ञा वह शब्द है जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम के स्वरूप में प्रयुक्त होते हैं। अत: सभी नामपदों को संज्ञा कहते हैं।

संज्ञा की परिभाषा (Sangya Ki Paribhasha): किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि तथा नाम के गुण, धर्म, स्वभाव का बोध कराने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। जैसे- श्याम, आम, मिठास, हाथी आदि।

पद:- सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।


    रमेश कल कोलकाता जाएगा ।
    वह पुस्तक पढ़ रहा है ।
    शेर दहाड़ता है ।
    ईमानदारी अच्छी बात है ।
    इसकी ऊंचाई देखो ।

उपर्युक्त वाक्यों में –

    रमेश– एक व्यक्ति का नाम है
    कोलकाता– एक शहर का नाम है
    पुस्तक– एक वस्तु का नाम है
    शेर– एक जानवर का नाम है
    ईमानदारी– एक भाव का नाम है
    ऊंचाई– से ऊंचा होना भाव प्रकट होता है ।

यह सभी पद संज्ञा है। संज्ञा पद का अर्थ ही है- “नाम“। अतः-

    संज्ञा वह शब्द है जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम के स्वरूप में प्रयुक्त होते हैं ।

पहचान

संज्ञा की पहचान निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर होती है-

कुछ संज्ञा शब्द प्राणी वाचक होते हैं और कुछ अप्राणी वाचक। जैसे-

    प्राणी वाचक शब्द – बच्चा ,भैंस ,चिड़िया ,आदमी , रमेश आदि ।
    अप्राणी वाचक शब्द – पुस्तक, मकान, रेलगाड़ी, रोटी, पर्वत आदि।

कुछ शब्दों की गिनती की जा सकती है और कुछ की गिनती नहीं की जा सकती। जैसे –

    गणनीय – आदमी, पुस्तक ,केला की गणना की जा सकती है, इसलिए यह गणनीय है ।
    अगणनीय- दूध ,हवा ,प्रेम की गणना नहीं की जा सकती इसलिए यह अगणनीय है।

संज्ञा अंग भेद उदहारण

संज्ञा अंग भेद में वाक्यों में संज्ञा को पहचान कर उनको बताना होता है। जैसे-

    श्याम खाना खा रहा है। (श्याम व्यक्ति का नाम है।)
    अमरुद में मिठास है।  (अमरूद फल का नाम है।)
    घोडा दौड़ रहा है। (घोड़ा एक पशु का नाम है।)

संज्ञा के कितने भेद है? Sangya ke bhed

संज्ञा के तीन प्रकार के भेद होते हैं- व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, और भाववाचक संज्ञा। जातिवाचक संज्ञा के भी दो होते हैं- द्रव्यवाचक संज्ञा और समूह वाचक संज्ञा।

    व्यक्तिवाचक संज्ञा
    जातिवाचक संज्ञा (द्रव्यवाचक संज्ञा और समूह वाचक संज्ञा)
    भाववाचक संज्ञा संज्ञा

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (PROPER NOUN IN HINDI)

वह शब्द जो किसी एक व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि का बोध करवाता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- राम, श्याम, टेबल, कुर्सी, कार, दिल्ली, मुंम्बई आदि।

    राम– व्यक्ति का नाम है
    श्याम– व्यक्ति का नाम है
    टेबल– बैठक का एक साधन है किन्तु एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
    कुर्सी– बैठक का एक साधन है किन्तु एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
    कार– यातायात का एक साधन है , किन्तु सम्पूर्ण यातायात नहीं है कार एक माध्यम है।इसके कारन यह एक व्यक्ति को इंगित कर रहा है।
    दिल्ली– एक राज्य है किन्तु पूरा देश नहीं इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
    मुंम्बई– एक राज्य है किन्तु पूरा देश नहीं इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण (Vyakti Vachak Sangya Ke Udaharan):

    व्यक्तियों के नाम जैसे – राम, श्याम, मोहन आदि।
    देशों के नाम जैसे – भारत, चीन, भूटान, आदि।
    महीनों के नाम (अंगरेजी और हिंदी दोनों) जैसे – जनवरी, फ़रबरी, चैत्र, वैशाख आदि।
    पर्वतों के नाम जैसे – हिमालय, आल्पस, सतपुड़ा, आदि।
    महासागरों के नाम जैसे – हिन्द महासागर, काला सागर, लाल सागर, आदि।
    धार्मिक ग्रंथों के नाम जैस – रामायण, गीता, महाभारत, आदि।
    ऐतिहासिक घटनाओं के नाम जैसे – 1857 की क्रांति, जलियावाला वाग हत्याकांड, चौरी-चौरा कांड, आदि।

2. जातिवाचक संज्ञा (COMMON NOUN IN HINDI)

जो शब्द संज्ञा किसी जाति का बोध करवाता है वह जातिवाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे- लड़का, लड़की, नदी, पर्वत आदि।

यहाँ पद लड़का शब्द किसी एक के लिए नहीं हैं, सभी boys को लड़का ही कहा जाता है, इसलिए यह एक जातिवाचक संज्ञा शब्द है, इसी प्रकार “लड़की, नदी, पर्वत” आदि केवल एक के लिए नहीं हैं।

जातिवाचक संज्ञा के दो भेद है-

    द्रव्यवाचक संज्ञा
    समूह वाचक संज्ञा।

द्रव्यवाचक संज्ञा (MATERIAL NOUN IN HINDI)

जिस संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव्य, सामग्री, पदार्थ आदि का बोध हो , उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- गेहूं, चावल, घी, सोना, चांदी, तांबा, ऊन आदि।

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण (Dravya Vachak Sangya Ke Udaharan):

    गेहूं– भोजन की सामाग्री है।
    चावल– भोजन की सामाग्री है।
    घी– भोजन की सामाग्री है।
    सोना– आभूषण के लिए एक द्रव्य या पदार्थ है।
    चांदी– आभूषण के लिए एक पदार्थ है।
    तांबा– एक धातु है।
    ऊन– ऊन वस्त्र बनाने की एक सामाग्री है।

समूह वाचक संज्ञा या समुच्चयवाचक संज्ञा (COLLECTIVE NOUN  IN HINDI)

जिन संज्ञा शब्दों से किसी एक व्यक्ति का बोध न होकर पुरे समूह / समाज का बोध हो वह समूह वाचक / समुदायवाचक संज्ञा होता है। जैसे- सेना, पुलिस, पुस्तकालय, दल, समिति, आयोग, परिवार आदि।

समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण (Samuh Vachak Sangya Ke Udaharan):

    सेना– सेना में कई सैनिक होते है। यहाँ समूह की बात हो रही है।
    पुलिस– पुलिस हर स्थान , राज्य , देश में होते है। उसी बड़े रूप को इंगित किया जा रहा है।
    पुस्तकालय– पुस्तकालय में अनेक पुस्तक होते है। यहाँ किसी एक पुस्तक की बात नहीं हो रही है।
    दल– अनेक व्यक्तिों से मिलकर एक दल , या समूह का निर्माण होता है।
    समिति– अनेक व्यक्तिों से मिलकर एक समिति , या समूह का निर्माण होता है।
    आयोग– आयोग का गठन किसी खास उद्देश्य के लिए किया जाता है , इसमें अनेक सदस्य होते है।
    परिवार– एक परिवार में अनेक सदस्य हो सकते है यहाँ तक की 2 -3 पीढ़ी भी।

3. भाववाचक संज्ञा (ABSTRACT NOUN IN HINDI)

जिन संज्ञा शब्दों से पदार्थों की अवस्था , गुण-दोष , धर्म , दशा , आदि का बोध हो वह भाववाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे- बुढ़ापा, मिठास, क्रोध, हर्ष, यौवन, बालपन, मोटापा आदि।

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण (Bhav Vachak Sangya Ke Udaharan):

    बुढ़ापा– बुढ़ापा जीवन की एक अवस्था है।
    मिठास– मिठास मिठाई का गुण है।
    क्रोध– क्रोध एक भाव या दशा है।
    हर्ष– हर्ष एक भाव या दशा है।
    यौवन– यौवन स्त्री की एक दशा है।
    बालपन– बालपन बालक का गुण है अथवा एक दशा और अवस्था है।
    मोटापा– मोटापा एक अवस्था है जो मोटापे का इंगित करता है।

स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा

जिन भाववाचक संज्ञा शब्दों में किसी भी प्रत्यय का प्रयोग नहीं होता है, उन्हें हम स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – सुख, दुःख, रोग, प्रेम, प्यार, स्नेह, दुलार, संसार, भय, क्रोध आदि।

स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा शब्दों में जब प्रत्यय जोड़ देते हैं तब यह विशेषण शब्द बन जाते हैं। जैसे:-

    सुख + ई = सुखी
    संसार + ई = संसारी
    प्रेम + ई = प्रेमी
    प्यार + आ = प्यारा

क्रियार्थक संज्ञा

जब किसी वाक्य के आरम्भ में कर्त्ता के रूप कोई क्रिया आये, तब उस क्रिया को क्रियार्थक संज्ञा कहते हैं। जैसे:-

    घूमना या टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
    पढ़ना एक अच्छा काम है।

उपरोक्त वाक्यों में घूमना, टहलना, पढ़ना आदि क्रियाओं का प्रयोग क्रियार्थक संज्ञा के रूप में हुआ है।
संज्ञा के अन्य नियम

    ओकारान्त और एकारांत शब्दों का प्रयोग हमेशा वहुवचन में होता है।

नियम १. यदि कोई क्रिया वाचक शब्द वाक्य के शुरुआत में ओकारान्त बनकर आये तब यह ओकारान्त शब्द हमेशा जातिवाचक संज्ञा होता है। जैसे:-

    सोतों को मत जगाओ।
    हँसातों को मत रुलाओ।
    रोतों को हँसाओ।

नियम २. जातिवाचक संज्ञा का कोई शब्द यदि वाक्य प्रयोग में व्यक्ति विशेष के प्रयोग को दर्शाता हो, तब वह शब्द वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे:-
मूलतः जातिवाचक संज्ञा वाक्य प्रयोग में व्यक्तिवाचक संज्ञा
नेताजी नेताजी ने जय हिंद का नारा दिया।
सरदार सरदार को लौह पुरुष भी कहा जाता है।
मोदी मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं।
गांधी या बापू गांधी या बापू अहिंसा के पुजारी थे।

नियम ३. व्यक्तिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा हमेशा एकवचन होते हैं। इनको वहुवचन बनाने के लिए ओकारान्त और एकारांत का प्रयोग किया जाता है, और यह वहुवचन बनने के साथ जातिवाचक संज्ञा हो जाते हैं। जैसे:-

    विभीषण – विभीषणों
    जयचंद – जयचंदों
    प्रार्थना – प्रार्थनाएं

नियम ४. यदि कोई विशेषण शब्द आकारान्त हो तब वह ओकारान्त बनते हुए जातिवाचक संज्ञा का रूप ले लेता है। जैसे:-

    छोटा – छोटों
    बड़ा – बड़ों

नियम ५. व्यक्तिवाचक संज्ञा का यदि कोई शब्द वाक्य प्रयोग में अपने समान विशेषता को दर्शाये तब वह वाक्य में जातिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे:-

    कश्मीर – प्रयागराज उत्तर प्रदेश का कश्मीर है।
    सेक्सपियर – कालिदास भारत के सेक्सपियर हैं।
    सीता और सावित्री – भारत में आज भी घर-घर में सीता और सावित्री पायी जातीं हैं।
    गंगा और लक्ष्मी – पूजा तो गंगा है और नेहा तो हमारे घर की लक्ष्मी है।

संज्ञा की पहचान क्या है? Sangya Ki Pehchan

कुछ संज्ञा शब्द प्राणीवाचक होता है, तो कुछ शब्द अप्राणिवाचक। कुछ शब्द गणनीय होती है तो कुछ शब्द अगणनीय।
1. प्राणीवाचक संज्ञा

वह शब्द जिससे किसे सजीव वस्तु का बोध हो जिसमे प्राण हो उसे प्राणीवाचक संज्ञा कहते है जैसे-

    लड़का
    गाय
    रमेश
    चिड़िया

आदि उपरोक्त सभी में प्राण है इस कारण यह प्राणीवाचक संज्ञा कहलाता है।
2. अप्राणिवाचक संज्ञा

जिस वस्तु , में प्राण न हो वह अप्राणिवाचक संज्ञा कहलाता है जैसे-

    मेज
    रेलगाडी
    मकान
    पुस्तक
    पर्वत

उपरोक्त शब्दों में प्राण / या सजीव नहीं है। इसलिए यह अप्राणिवाचक संज्ञा है।
3. गणनीय संज्ञा

जिस व्यक्ति , वस्तु , पदार्थ आदि की गणना की जा सकती है। उसकी संख्या ज्ञात की जा सकती है वह शब्द गणनीय संज्ञा कहलायेगा। जैसे-

    लड़का
    पुस्तक
    भवन
    गाय
    केले

4. अगणनीय संज्ञा

जिस व्यक्ति , वस्तु , पदार्थ आदि की गणना नहीं की जा सकती है। उसकी संख्या ज्ञात नहीं की जा सकती है वह शब्द अगणनीय संज्ञा कहलायेगा। जैसे-

    दूध
    पानी
    मित्रता
    मित्रता

शब्दों का भाववाचक संज्ञा में बदलना

भाववाचक संज्ञा का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय शब्दों के द्वारा-
जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक शब्दों Sangya का निर्माण

    युवा + अन = यौवन
    पुरुष + त्व = पुरुषत्व
    नारी + त्व = नारीत्व
    बालक + त्व = बालकत्व
    दास + त्व = दासत्व
    क्षत्रिय + त्व = क्षत्रित्व
    पशु + त्व = पशुत्व
    बंधू + त्व = बंधुत्व
    सती + त्व = सतीत्व
    मित्र + ता = मित्रता
    मित्र + ता = मित्रता
    बालक + पन = बालकपन
    बच्चा + पन = बचपन

सर्वनाम (PRONOUN) से भाववाचक शब्दों Sangya का निर्माण-

    अहं + कार = अहंकार
    अपना + त्व = अपनत्व
    निज + त्व = निजत्व
    सर्व + त्व = सर्वस्व
    स्व + त्व = स्वत्व
    मम + त्व = ममत्व
    मम + ता = ममता
    पराया + पन = परायापन

विशेषण (ADJECTIVE) से भाववाचक शब्दों Sangya का निर्माण-

    मीठा + आस = मिठास
    मीठा + आई = मिठाई
    अच्छा + आई = अच्छाई
    चतुर + इय = चातुर्य
    सुन्दर + ता = सुंदरता
    वीर + ता = वीरता
    निर्बल + ता = निर्बलता
    मधुर + ता = मधुरता
    प्रवीण + ता = प्रवीणता
    सफल + ता = सफलता
    दुर्बल + ता = दुर्बलता
    सुन्दर + ता = सुंदरता
    छोटा + पन = छुटपन
    बड़ा + पन = बड़प्पन

क्रिया से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

    खोजना – खोज
    चलना – चाल, चलन
    घटना – घटाव
    घेरना – घेरा
    रंगना – रंगत
    सीना – सिलाई
    पूजना – पूजन

अव्यय से भाववाचक शब्दों या भाववाचक संज्ञा का निर्माण

    निकट – निकटता, नैकट्य
    शाबास – शाबाशी
    शीघ्र – शीघ्रता
    परस्पर – पारस्पर्य
    समीप – सामीप्य
    वाहवाह – वाहवाही
    धिक् – धिक्कार

संज्ञा का पद परिचय दीजिये – Sangya Ka Pad Parichay

संज्ञा का पद परिचय देते समय वाक्य में आये प्रत्येक शब्द को अलग-अलग करके उसका परिचय बताना चाहिए। इसमें संज्ञा का लिंग, वचन, कारक भी बताना होता है। जैसे-

“राम ने रावण को वाण से मारा।“

राम – संज्ञा , व्यक्तिवाचक , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ताकारक।
रावण – संज्ञा , व्यक्तिवाचक , पुल्लिंग , एकवचन , कर्मकारक ।
वाण – संज्ञा , व्यक्तिवाचक , पुल्लिंग , एकवचन , करण कारक ( साधन रूप में ) ।
लिंग (GENDER)

जो शब्द स्त्री व पुरुष में भेद उत्त्पन्न करता है, उसे लिंग कहते है। या वह शब्द जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, आदि में स्त्री-पुरुष होने का ज्ञान कराता हो उसे लिंग कहते हैं। लिंग दो प्रकार के होते हैं: 1. पुल्लिंग 2. स्त्रीलिंग।
पुल्लिंग स्त्रीलिंग
लड़का लड़की
कवी कवियत्री
नाई नाऊन
अभिनेता अभिनेत्री
साधु साध्वी
लेखक लेखिका
विद्वान विदुषी
चूहा चुहिया
शेर शेरनी
बन्दर बंदरिया
सुनार सुनारीन
हाथी हथनी
नौकर नौकरानी
देवर देवरानी
शिष्य शिष्या
वचन (NUMBER)

“जिस शब्द से एक या अनेक होने का बोध होता है उसे वचन कहते हैं।” हिंदी में मुख्य रूप से एकवचन और बहुवचन को मान्यता प्राप्त है।

    जहां किसी एक व्यक्ति को इंगित किया जा रहा हो वहां एकवचन, और
    जहां पूरे समाज को इंगित किया गया हो वहां बहुवचन होता है।

वचन के उदहारण:
एकवचन बहुवचन
पुस्तक पुस्तकें
माला मालाएं
गाय गायें
मकान मकानों
बहन बहने
माता माताओं
फल फलों
सब्जी सब्जियां
बच्चा बच्चें
खिड़की खिड़कियां
नदी नदियां
गुड़िया गुड़ियाँ
सेना सेनाएँ
कथा कथाओं
बहु बहुएँ

वचन का वाक्य में प्रयोग:

    उसकी बेटी स्कुल जाती है – उसकी बेटियां स्कुल जाती है।
    मिठाई पर मक्खी बैठी है। – मिठाइयों पर मक्खियाँ बैठी है।
    छात्र पाठशाला में पढ़ते हैं – छात्रो का अध्ययन पाठशालाओं में होता है।

कारक (CASE)

वाक्य में प्रयुक्त वह शब्द जिससे पूरी घटना या उद्देश्य की पूर्ति हो, उसे कारक कहते हैं। जैसे-

    राम ने रावण को “बाण” से मारा – बाण कारक है।
    मैं “कलम से ” लिख रहा हूं – कलम कारक है।
    पेड़ से ” फल ” गिरते हैं – फल कारक है।
    सीता “भूख” लगने पर रोती है – भूख कारक है।
    वह “गांव” चला गया – गांव कारक है।
    अर्जुन ने “जयद्रथ को ” मार डाला – जयद्रथ को कारक है।

कारक की परिभाषा:

    संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से सीधा संबंध क्रिया के साथ ज्ञात हो वह कारक कहलाता है।

कारक चिन्ह प्रयोग/विभक्ति/परसर्ग:

    कर्ता कारक (NOMINATIVE CASE) – ने [ राम ने रावण को मारा , लड़की स्कूल जाती है। ]
    कर्म कारक (OBJECTIVE CASE) – को [ लड़की ने सांप को मारा , मोहन ने पत्र लिखा। ]
    करण कारक (INSTRUMENTEL CASE) – से , के , साथ , [ अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा , बालक गेंद से खेल रहे हैं। ]
    संप्रदान कारक (DATIVE CASE) – के लिए , [ गुरुजी को फल दो। ]
    अपादान कारक (ABLATIVE CASE) – से , [ बच्चा छत से गिर पड़ा , संगीता घोड़े से गिर पड़ी। ]
    संबंध कारक (RELATIVE CASE) – का , के , की [ वह मोहन का बेटा है , यह कमला की गाय है। ]
    अधिकरण कारक (LOCATIVE CASE) – में , पर [ भंवरा फूलों पर मंडरा रहा है। ]
    संबोधन कारक (VOCATIVE CASE) – हे ! हरे ! [ अरे भैया कहां जा रहे हो , हे राम ! ( संबोधन )]

कारक के महत्वपूर्ण पहचान:

    कर्ता – क्रिया को संम्पन करने वाला।
    कर्म – क्रिया से प्रभावित होने वाला।
    करण – क्रिया का साधन या उपकरण।
    सम्प्रदान – जिसके लिए कोई क्रिया संम्पन की जाय।
    अपादान – जहाँ अलगाव हो वहां ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है।
    संबंध – जहाँ दो पदों का पारस्परिक सम्बन्ध बताया जाए।
    अधिकरण – जो क्रिया के आधार ( स्थान , समय , अवसर ) का बोध करवाय।
    सम्बोधन – किसी को पुकार का सम्बोधन किया जाये।

संज्ञा से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQ
संज्ञा किसे कहते है?

संज्ञा किसी व्यक्ति (प्राणी) वस्तु , स्थान , अथवा भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते है। जैसे- श्याम , दिल्ली , आम , मिठास , गाय आदि।
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Vyakti Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

वह शब्द जो किसी एक व्यक्ति , वस्तु , स्थान आदि का बोध करवाता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे: संध्या, धर्मेश, सुरेश, सचिन; गीता, रामायण, कार, घर; कच्छ, गुजरात, मुंबई, दिल्ली; उत्तर, पश्चिम, पूर्व, दक्षिण; गंगा, जमुना, सरस्वती, कावेरी , नर्मदा आदि।
जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Jativachak Sangya Kise Kahate Hain)

जिन शब्दों से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- बच्चा ,जानवर, नदी, अध्यापक, बाजार, पहाड़, खिड़की आदि।
भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Bhav vachak Sangya Kise Kahate Hain)

किसी भाव, गुण, दशा और अवस्था का ज्ञान करवाने वाले शब्द को भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे: क्रोध, प्रसन्नता, प्रेम, आश्चर्य, लालच, जवानी आदि।
स्वतन्त्र भाववाचक संज्ञा शब्द किसे कहते हैं?

जिन भाववाचक संज्ञा शब्दों में किसी भी प्रत्यय का प्रयोग नहीं होता है, उन्हें हम स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – सुख, दुःख, रोग, प्रेम, प्यार, स्नेह, दुलार, संसार, भय, क्रोध आदि।
समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Samuh Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

जो शब्द किसी समूह या समुदाय विशेष की स्थिति को प्रकट करते हैं उन्हें समूहवाचक संज्ञा या समुदाय वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे: कक्षा, संसद, भीड़, ढेर, दल, सेना, सभा, परिवार, कक्षा, मेला, सेना, पुलिसआदि।
द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? (Dravya Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

वे संज्ञा शब्द, जो किसी द्रव्य, पदार्थ, धातु तथा अधातु का बोध कराते है, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- घी, तेल, पानी, तांबा , पीतल , सोना , लोहा आदि।

Sangya, sangya in hindi
Sangya – Sangya in Hindi

 हिन्दी व्याकरण - भाषा ➭ वर्ण ➭ शब्द ➭ पद ➭ वाक्य ➭ संज्ञा ➭ सर्वनाम ➭ विशेषण ➭ क्रिया ➭ क्रिया विशेषण ➭ समुच्चय बोधक ➭ विस्मयादि बोधक ➭ वचन ➭ लिंग ➭ कारक ➭ पुरुष ➭ उपसर्ग ➭ प्रत्यय ➭ संधि ➭ छन्द ➭ समास ➭ अलंकार ➭ रस ➭ श्रंगार रस ➭ विलोम शब्द ➭ पर्यायवाची शब्द ➭ अनेक शब्दों के लिए एक शब्द आदि। 
Name

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